aman akshar ke geet
Aman akshar ke geet
अमन अक्षर के गीत
1 ~ राम गीत / ramgeet by aman akshar
सारा जग है प्रेरणा प्रभाव सिर्फ राम हैं,
भाव सूचियां बहुत हैं भाव सिर्फ राम हैं
कामनाएं त्याग पुण्य काम की तलाश में
तीर्थ ख़ुद भटक रहे थे धाम की तलाश में
न तो दाम के न किसी नाम की तलाश में
राम वन गये थे अपने राम की तलाश में
आप में ही आप का चुनाव सिर्फ़ राम हैं
भावसूचियाँ बहुत हैं भाव सिर्फ़ राम है
ढाल में ढले समय की शस्त्र में ढले सदा
सूर्य थे मगर वो सरल दीप से जले सदा
ताप में तपे स्वयं के स्वर्ण से गले सदा
राम ऐसा पथ थे जिसपे राम ही चले सदा
दुःख में भी अभाव का अभाव सिर्फ़ राम है
भावसूचियाँ बहुत हैं भाव सिर्फ़ राम है
अपने अपने दुःख थे सबके सारे दुःख छले गये
वो जो आस दे गये थे वो ही सांस ले गये
राम राज की ही आस में दिये जले गये
राम राज आ गया तो राम ही चले गये
हर घड़ी नया-नया स्वभाव सिर्फ़ राम हैं
भावसूचियाँ बहुत हैं भाव सिर्फ़ राम है
ऋण थे जो मनुष्यता के वो उतारते रहे
जन को तारते रहे तो मन को मारते रहे
इक भरी सदी का दोष ख़ुद पे धारते रहे
जानकी तो जीत गयीं राम हारते रहे
दुःख की सब कहानियाँ हैं घाव सिर्फ़ राम हैं
भावसूचियाँ बहुत हैं भाव सिर्फ़ राम है
जग की सब पहेलियों का देके कैसा हल गये
लोक के जो प्रश्न थे वो शोक में बदल गये
सिद्ध कुछ हुए न दोष इसतरह से टल गये
सीता आग में न जलीं राम जल में जल गये
सीता जी का हर जनम बचाव सिर्फ़ राम हैं
2~ भाग्य रेखाओं में/ bhagya rekhao me geet lyrics
भाग्य रेखाओं में तुम कहीं भी न थे
प्राण के पार लेकिन तुम्ही दीखते।
सांस के युद्ध में मन पराजित हुआ,
याद की अब कोई राजधानी नहीं
प्रेम तो जन्म से ही प्रणयहीन है,
बात लेकिन कभी हमने मानी नहीं ,
हर नए युग तुम्हारी प्रतीक्षा रही,
हर घड़ी हर समय से अधिक बीतते।
भाग्य रेखाओं में तुम कहीं भी न थे
प्राण के पार लेकिन तुम्ही दीखते।
इक तरफ आस के कुछ दीए जल उठे,
इक तरफ मन विदा गीत गाने को है।
प्रिये इस जन्म भी कुछ पता ना चला,
प्यार आता है या सिर्फ जाने को है,
जो सहज जी गए तुम हमारे बिना,
हम वो जीवन तुम्हारे ही संग सीखते
भाग्य रेखाओं में तुम कहीं भी न थे
प्राण के पार लेकिन तुम्ही दीखते।
राम जानकी गीत / ram janki geet lyrics
जो हैं इस कथा के प्राण, उनका प्राण जानकी
राम एक सत्य जिसका हैं प्रमाण जानकी
पुण्य एक था मगर थे पुण्य के घड़े अलग
युद्ध एक था मगर दोनों ही लड़े अलग
जो न थे किसी के राम, राम थे खड़े अलग
जानकी के राम, राम से भी थे बड़े अलग
इस कथा से है बड़ा अलग विधान जानकी
राम एक सत्य जिसका हैं प्रमाण जानकी
धर्म की कथा को जिसने मर्म एक नया दिया
अपने साथ राम को भी राम में रमा दिया
जानकी ने इसको अर्थ धर्म से बड़ा किया
राम की कथा को, प्रेम की कथा बना दिया
भावना से भी अधिक है अर्थवान जानकी
राम एक सत्य जिसका हैं प्रमाण जानकी
इसमें क्या नया है लाख तर्क जो बुने गए
तुमको लग रहा है सिर्फ राम ही सुने गए
एक सरल सी बात जिसके अर्थ अनसुने गए
जानकी ने हां कहा तो राम जी चुने गए
शब्द-शब्द अर्थ-अर्थ स्वाभिमान जानकी
राम एक सत्य जिसका हैं प्रमाण जानकी
प्रीत का नया ही रूप गढ़ रही थी जानकी
पीछे-पीछे चल के आगे बढ़ रही थी जानकी
जैसे मंदिरों की सीढ़ी चल रही थी जानकी
राम लिख रहे थे राम पढ़ रही थी जानकी
राम जिसके हो गए सहज सुजान जानकी
राम एक सत्य जिसका हैं प्रमाण जानकी
इक और नई कहानी (aman akshar poetry lyrics)
आसूं अपने सपनो का
जब शीशमहल न हो पाए
इक दूजे की खातिर दोनों
फिर पागल न हो पाए
तुम इतने प्यारे थे तुमसे
पूरी दुनिया सरल हुई
हम इतने मुश्किल थे जो
तुमसे भी हल न हो पाए
किस्मत ने हम दोनों को
हर युग में ही मिलवाया है
हम अपना मिलना लेकिन
हर बार सफल न कर पाए
धूप तुम्हारे रूप की कैसे
दो आँखों में भर पाते
कैसे अम्बर के प्रश्नों का
धरती पर उत्तर पाते
हम तो शापित प्रेमी हमको
न कोई अधिकार मगर
जादूगर भी इस दुनिया को
तुम जैसी न कर पाते
तुम्हें अमरता स्वर्ग की थी
और हमें धरा पर मरना था
यूँ फिर सपनों का अपने
संसार सफल न कर पाए
ये तुम्हारी गली का सरल रास्ता / aman akshar geet lyrics
इक और नई कहानी
दुनिया हम दोनों में ढूंढेगी
हम इस जीवन में भी
अपना प्यार सफल न कर पाए
आंसू अपने सपनों का
ये तुम्हारी गली का सरल रास्ता,
हमसे पूछो तो सबसे कठिन राह है।
लाख विश्वास हमनें संभाले मगर
एक संदेह जाते ज़माने लगे
हमको जीवन के दिन थे बनाने मगर,
हम यहाँ रोज़ रातें कमाने लगे
ख़ुद से कोई वचन जो निभाया नहीं,
इक तुम्हारे वचन का ही निर्वाह है।
चंद कदमों की दूरी के इस फेर में
वक़्त ने रोज़ मीलों चलाया हमें,
तुम प्रतीक्षा के वो मौन संवाद थे
जिसने दुनिया की भाषा बनाया हमें
हम तो यूँ ही निकल आये थे खो गये,
मन मगर अपनी मर्ज़ी से गुमराह है।
ऐ नदी अभी हम चलते हैं (aman akshar nadi geet)
ऐ नदी अभी हम चलते हैं,
फिर कभी बैठ कर दोनों बतियायेंगे
कुछ दिये साथ में हम लिए आएंगे,
चाहते हैं तुम्हारी लहर संग बहे
बस यही रास्ता प्रेम तक जाएगा
एक नए प्यार की मन्नतें ये कहें
अर्थ जो भी सपन बन नयन में रहे
सब तुम्हारी ही तो गोद में आएंगे
ऐ नदी अभी हम चलते हैं,
फिर कभी बैठ कर दोनों बतियायेंगे
तुमने तोड़े कई हैं घरोंदे मेरे
आस और स्वप्न के ना महल तोड़ना
हमने छोड़ी पुरानी सभी आदतें
तुम भी अपनी सभी आदतें छोड़ना
इस जन्म हैं प्रणय गीत गाने बहुत
फिर किसी जन्म में हम तुम्हें गाएंगे
ऐ नदी अभी हम चलते हैं,
फिर कभी बैठ कर दोनों बतियायेंगे
तट तुम्हारे सभी सरहदों से बंधे
हमको भी तो किसी तट का बंधन मिले
देह के इस नगर अपना जी ही नहीं
मन के देहात में मन सा जीवन मिले
हमने जो भी कहा मित्रवत कह दिया
फिर कभी इसका मतलब भी समझाएंगे
ऐ नदी अभी हम चलते हैं,
फिर कभी बैठ कर दोनों बतियायेंगे
हर पीड़ा पर भारी होगा / aman akshar kavita in hindi
हर पीड़ा पर भारी होगा सुख वो तुम्हारे होने का
तुमसे बंध जाने का और फिर बंधन सारे खोने का
मिट्टी होती दुनिया अपनी राजमहल हो जाएगी
प्रेमी हो या साधु हो ये दुविधा हल हो जाएगी
केवल गीतों में ही सुनकर दुनिया अपनी कायल है
तुमको मेरे संग जो देखेगी पागल हो जाएगी
मरती आंखों को मिल जाए मौसम हंसने रोने का
तुमसे बंध जाने का और फिर बंधन सारे खोने का
इतना एकाकी जीवन बस दूर से सुंदर लगता है
प्यार में अपना रोना भी हंसने से बेहतर लगता है
यक्ष सरीखी दुनिया में इस प्रश्न के जैसे जीवन का
तुम और मैं ही एक उत्तर हैं ऐसा अक्सर लगता है
प्यार अकेला ही नियम हो संबंधों के बोने का
तुमसे बंध जाने का और फिर बंधन सारे खोने का
हर पीड़ा पर भारी होगा सुख वह तुम्हारे होने का
तुमसे बंद जाने का और फिर बंधन सारे खोने का
तुम होते तो इस दुनिया में रहना और सरल होता (aman akshar ki kavita)
साथ किसी के चल कर रस्ता सुंदर तो हो जाता है
सपनों के सुस्ताने भर को एक घर तो हो जाता है
एक उदासे तन को सुख का जेवर तो हो जाता है
साथ किसी का पाकर जीवन बेहतर तो हो जाता है
तुम होते तो इन बातों को कहना और सरल होता
तुम होते तो इस दुनिया में रहना और सरल होता
हम अनुमानित सात बरस तक कदम-कदम पर साथ रहे
जनम-जनम संग रहने के वचनों के दम पर साथ रहे
भोले-भाले अर्थों वाली हर एक कसम पर साथ रहे
कुछ भी साथ नहीं था फिर भी हम हम-दम पर साथ रहे
तुम बुनियाद बने रहते तो ढहना और सरल होता
तुम होते तो इस दुनिया में रहना और सरल होता
हम दोनों एक-दूजे के पहले-पहले संभल थे
संग-संग ऐसे रहते जैसे हम ही संगम के जल थे
लेकिन अपने साथ हुए हम सबसे बुनियादी चले थे
सबको पागल कहते थे पर हम दोनों ही पागल थे
पागल ही रहते तो खुद को सहना और सरल होता
तुम होते तो इस दुनिया में रहना और सरल होता
जीवन तेरा जीवन मेरा / aman akshar geet lyrics
जीवन तेरा जीवन मेरा
इसका कौन चितेरा
संघर्षों की बेला है
सुख और दुख का खेला है
कभी है साथ तुम्हारे
कभी एकाकी सा मेला है
क्षण-क्षण हर क्षण रोया ये मन
बनकर मीरा, कबीरा
जीवन तेरा जीवन मेरा
इसका कौन चितेरा
निश्चल जल सा ये अविरल सा
बहता जाए कल-कल
कभी झरनों से कभी नयनों से
झरता जाए पल-पल
प्राणों की अपनी ही व्यथा है
झर जाना जीवन की प्रथा है
कभी है अनुबंध बरस के
कोई क्षण भर ही ठहरा
जीवन तेरा जीवन मेरा
इसका कौन चितेरा
इतना आगे निकल आएंगे प्यार में / अमन अक्षर शायरी
इतना आगे निकल आएंगे प्यार में
सोचते भी न थे जानते भी न थे
बूंद के भाग्य में है समंदर लिखा
प्यास का भाग्य लेकिन है पानी नहीं
जिसको देखे बिना उम्र ही काट दी
उसको देखे बिना मौत आनी नहीं
एक दुनिया जहां प्यार हो ही नहीं
सोचते से भी न थे मानते भी न थे
इतना आगे निकल जाएंगे प्यार में
सोचते भी न थे जानते भी न थे
सुख का संसार ना सुख का आधार है
दुख की लेकिन कोई तो कसौटी रहे
भाग्य रेखा में घर प्रीत का घर ना हो
जीने की फिर वो रेखा भी छोटी रहे
जिंदगी से अधिक प्यार को प्यार से
रोकते भी न थे लाँघते भी न थे
इतना आगे निकल जाएंगे प्यार में
सोचते भी न थे जानते भी न थे
स्वप्न में एक दुनिया है हम भी जहां
सुख से सोते हैं और सुख से जगते भी हैं
जब से तुम हो गए पूरी दुनिया को हम
प्यारे हो भी गए प्यारे लगते भी हैं
जिंदगी से अधिक प्यार से प्यार को
रोकते भी ना थे लंगते भी ना थे
इतना आगे निकल जाएंगे प्यार में
सोचते भी न थे जानते भी न थे।
हम समय से पूछते हैं जिंदगी में (aman akshar poems)
कितना अलग है, कितना अलग है
कितना अलग है, कितना अलग है
हम समय से पूछते हैं जिंदगी में
जीना मरना प्यार में कितना अलग है
याद ने जलयान आंखों में उतारे
रोशनी ने आंसुओं के घर सवाँरे
सिसकीयों ने आह को इक स्वर दिया फिर
गीत से जुड़कर हुए सब और प्यारे
सूखते कंठों ने पूछा गीत गाना
रूप से सिंगार से कितना अलग है
हम समय से पूछते हैं जिंदगी में
जीना मरना प्यार में कितना अलग है
आत्मा का यक्ष अक्सर पूछता है
ये बदन किस द्वार जाकर छूटता है
हम यही कहते हैं ऐसे प्यार में
छूटने से पहले सब कुछ टूटता है
वह हठीला यक्ष है फिर पूछता है
मोह मृत्यु द्वार से कितना अलग है
हम समय पर पूछते हैं जिंदगी में
जीना मरना प्यार में कितना अलग है।
भान तुमको न था ना हमें ही रहा / aman akshar poetry
भान तुमको न था ना हमें ही रहा
या तो तुमने सुना या तो हमने कहा
बींध तुम भी गए जाने पीर में
भीग हम भी गए आंख भर नीर में
यूं तो सब कुछ हुआ किंतु कुछ ना हुआ
द्रोपदी से रहे वक्त के चीर में
गौड़ हम हो गए प्यार इतना बहा
या तो तुम ने सुना या तो हम ने कहा
रतजगे ख्वाब हैं नींद सोई नहीं
हमने पीड़ा भी मन में रोई नहीं
तुमको हम जान ले हमको तुम जान लो
और जग में हमारा है कोई नहीं
अनमनी इक नदी नें पूरा सागर सहा
या तो तुमने गुना या तो हमने कहा
कृष्ण गीत / अमन अक्षर गीत लिरिक्स
एक जो अनन्त में अनन्तता का माप है,
कृष्ण, कृष्ण बाद में है पहले कृष्ण आप है।
रूप क्या थे सबके सिर्फ झूठे आज पाठ थे
कृष्ण अपने आप में मनुष्यता के ठाठ थे,
पूरी भव्यता में दिव्यता के पाठ थे
जितना जग लघु था कृष्ण उतने ही विराट थे।
एक जो अंनत में अनन्तता का माप है,
कृष्ण, कृष्ण बाद में है पहले कृष्ण आप है।
देह की परंपरा में नयी सी लय का जन्म था
पहली बार भय के गर्भ से अभय का जन्म था,
पाप के लिए जैसे ये प्रलय का जन्म था,
जन्म का समय नहीं था ये समय का जन्म था।
एक पूरी सभ्यता के पुण्य का प्रताप है,
कृष्ण, कृष्ण बाद में है पहले कृष्ण आप है।
पांडवों के साथ बस था एक सुयोग कृष्ण थे
राधिका के साथ जो रहा वियोग कृष्ण थे,
कौरवों के काल कह रहे थे लोग कृष्ण थे,
जितने लोग थे धरा पर सबका योग कृष्ण थे।
शत्रुओं के भी वही है मित्र का मिलाप है,
कृष्ण, कृष्ण बाद में है पहले कृष्ण आप है।
सारी चेतना ही प्रेम के जतन के पास थी
रौशनी की कम थी लौ अधिक जलन के पास थी,
युद्ध से भी पहले प्रीत जिनके मन के पास थी,
चक्र से अधिक तो बासुरी किशन के पास थी।
वीरता के तप आप है वीरता के ताप,
कृष्ण, कृष्ण बाद में है पहले कृष्ण आप है।
देह वनवास को सौंप कर वो चला / aman akshar geet
देह वनवास को सौंप कर वो चला,
चित्त घर की दिशा शेष जाने किधर।
इक पराजय यदि आयु भर साथ हो,
हर घड़ी हर्ष ये ना निभा पायेगा,
अपना जीवन है मंचन के जैसा अगर,
हमको जीने का अभिनय नही आयेगा,
जब स्वयं का ही अधिकार कर ना सके,
प्राण सीमित हुये साँस विन्यास पर,
देह वनवास को सौंप कर वो चला,
चित्त घर की दिशा शेष जाने किधर।
कुछ वचन युं अधूरे संजोये रहे,
अश्रूपूरित समापन हो संसार का,
इक ईकाई है मन बस यही मानकर,
हम भी सथिया बने दर्द के द्वार का,
आस अंतिम यही स्वर अबोले रहे,
गीत कोई कभी नही हो मुखर,
देह वनवास को सौंप कर वो चला,
चित्त घर की दिशा शेष जाने किधर।
मंत्रणा कोई भी ना सफल हो सकी,
प्रीत को तो समर मे उतरना ही था,
हारना प्रेम में सब अमर कर गया,
जीत जाता प्रणय फिर तो मरना ही था,
हार को साँस हर दम संभाले हुये,
पास रहता नही युं कोई जीत कर,
देह वनवास को सौंप कर वो चला,
चित्त घर की दिशा शेष जाने किधर।
चंचल मन ये जीता जिसने / aman akshar poetry
चंचल मन ये जीता जिसने तुम मे ऐसा कोई है,
एक तुम्हारे पीछे हमने अपनी सुध बुध खोई है।
बस्ती-बस्ती गीत लिये हम अपनी बाते कहते है,
कुछ गीतो की नैया ले हम,अपनी नदिया गहते है,
मन जब तुमसा होकर अक्सर,हमसे झगड़ा करता है,
तब लगता है मन भीतर सब लोग तुम्हारे रहते है,
अपनी होनी अनहोनी भी इक ही साँस पिरोई है,
एक तुम्हारे पीछे हमने अपनी सुध बुध खोई है।
भावुकता का सूरज निशदिन चढता और उतरता है,
याद का चंदा नियमित आकर ठंडी आहे भरता है,
जीवन तुम तक सीमित होकर पूरी दुनिया जैसा है,
तुमसे बाहर आकर अपनी छाया से भी डरता है,
प्यार की दुनिया मे ही हमने अपनी दुनिया बोई है,
एक तुम्हारे पीछे हमने अपनी सुध बुध खोई है।
किसी कल्पना लोक मे बीते वो जीवन ही अच्छा है,
इन तर्को वाली दुनिया से प्रेमी मन ही अच्छा है,
आस का हर पत्ता आखिर जब उस डाली से टूट गया,
युं लगता है प्रियतम अपना खालीपन ही अच्छा है,
मन बैठी इक लडकी अक्सर ऐसा सुनकर रोई है,
एक तुम्हारे पीछे हमने अपनी सुध बुध खोई है।
रेत सा मन लिए स्वप्न के द्वारा हम
एक नदी का पता पूछ कर आ गए।
एक भरम सौंपकर तुम चले तो गए
हर जन्म वो भरम अब निभाना तो है,
]जिस कहानी में हम तुम कहीं भी ना थे,
उस कहानी को अपना बताना तो है,
जब तुम्हें ढूंढते आप ही खो गए,
हम तुम्हारा नगर छोड़ कर आ गए,
रेत सा मन लिए स्वप्न के द्वारा हम,
एक नदी का पता पूछ कर आ गए।
स्वर्ग को चाहना फिर तुम्हें सोचना,
क्या है बेहतर यही जब कभी सोचते,
स्वर्ग मिल जाएगा इतने काबिल तो हैं,
तुम ही मिल जाओगे हम नहीं सोचते,
आस होना अलग पास होना अलग,
सोच कर हम अलग राह पर आ गए,
रेत सा मन लिए स्वप्न के द्वारा हम,
एक नदी का पता पूछ कर आ गए।
यारी गीत / अमन अक्षर की कविताएं
थोड़ा हंसना थोड़ा रोना थोड़े से झगड़े रखना,
अपनी समझ बढ़ाना लेकिन पागलपन पकड़े रखना,
दो आधे लोगों से ही तो ऐसी यारी बनती है,
बाकी पूरेपन से केवल दुनियादारी बनती है,
मिलते मिलते दिल मिलना दिल मिलते ही मिल जाना,
देखो रास बहुत आएगा दो फूलों का खिल जाना,
खिलने की सूरत में ही तो सूरत प्यारी बनती है,
बाकी पूरेपन से केवल दुनियादारी बनती है,
किसी रूप के मंदिर में इन दो आंखों का बस जाना,
चलो किसी ने तो रहने का सही ठिकाना पहचाना,
इस घर में ही मन वालों की उम्र गुजारी बनती है,
बाकी पूरेपन से केवल दुनियादारी बनती है,
यह अवसाद नहीं है प्यारे उसकी याद का पानी है,
जिसके साथ तुम्हें अपनी पूरी उम्र बितानी है,
इस पानी का मोल चुकाओ जिम्मेदारी बनती है,
बाकी पूरेपन से केवल दुनियादारी बनती है,
अपने मन को अपनी ही बातों से ना बहलाओ तुम,
जिसका साथ भला लगता है उसका साथ निभाओ तुम,
बेचारे लगने से ही किस्मत बेचारी बनती है,
बाकी पूरेपन केवल दुनियादारी बनती है,
थोड़ा रुक कर सोचो खुद को कब एकाकी पाते हो,
मरना बाकी पाते हो या जीना बाकी पाते हो,
मरने से पहले भाई जीवन की बारी बनती है,
बाकी पूरे पन से केवल दुनियादारी बनती है,
अपना ही अनुभव आखिर अपने ही काम नहीं आया,
कब इतना उलझा था जीवन जितना हम ने सुलझाया,
दिल बीमार नहीं होता तो हर बीमारी बनती है,
बाकी पूरे पन से केवल दुनियादारी बनती है।
ले चलो दिशा जिस दिशा जिंदगी / अमन अक्षर गीत लिरिक्स
ले चलो दिशा जिस दिशा जिंदगी,
भीड़ में भी ना होना अकेली रहे,
स्वप्न में एक दुनिया है हम भी जहां,
सुख से सोते हैं और सुख से जगते भी हैं,
जब से तुम हो गए पूरी दुनिया को हम,
प्यारे हो भी गए प्यारे लगते भी हैं,
जिसको भाया नहीं साथ अपना कभी,
वो ना दुश्मन रहे ना सहेली रहे,
ले चलो उस दिशा जिस दिशा जिंदगी,
भीड़ में भी ना होना अकेली रहे।
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